हेल्थ डेस्क. लां सेट ग्लोबल हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतें सर्वाधिक भारत में होती हैं। महिलाओं को होने वाले इस सर्वाइकल (गर्भाशय) कैंसर और कई तरह के संक्रमण से एचपीवी नामक टीके (वैक्सीन) से बचाव किया जा सकता है। इसी तरह बिहार के गोरखपुर और दूसरे इलाकों में बच्चों की मौतों के लिए जिम्मेदार जापानी बुखार से बचाव के लिए जेईवी (जापानी एंसेफेलाइटिस) नामक वैक्सीन दी जा सकती है। वैक्सीनेशन के बाद ढेर सारी बीमारियों और संक्रमण से 90 फीसदी तक बचाव किया जा सकता है। इसके लिए सबसे जरूरी बात है कब-कौन सा टीका लगवाना चाहिए। फिजिशियन और बाल रोग एवं एलर्जी विशेष डॉ अव्यक्त अग्रवाल ने वैक्सीनेशन गाइड में बताया कब-कौन सा टीका लगवाएं...
वयस्कों को भी लगवाने चाहिए ये टीके
सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए लड़कियों को 10 से 45 वर्ष की उम्र तक एचपीवी का टीका लगता है। हालांकि इसे लगवाने की आदर्श उम्र 29 साल तक है, लेकिन 45 साल तक भी इसे लगवाया जा सकता है। इसे गर्भावस्था के दौरान नहीं लगवाना चाहिए। इसके अलावा टाइफॉइड, चिकनपॉक्स, हेपेटाइटिस-ए, स्वाइन फ्लू और मीजल्स, रुबेला और मम्प्स से बचने के लिए भी टीके लगवाने चाहिए। हालांकि इनमें अधिकांश टीके बचपन में लग जाते हैं, लेकिन अगर किन्हीं कारणों से नहीं लगे हैं, तो आप अभी भी लगवा सकते हैं।
- टाइफॉइड कॉन्जुगेट : यह टाइफॉइड का नया टीका है। इसकी कीमत 1800 रुपए के करीब है। यह पांच वर्षों के लिए 90 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान करता है। इसे 9 माह की उम्र या उसके बाद भी लगवाया जा सकता है।
- हेपेटाइटिस ए : बच्चों व बड़ों में होने वाले पीलिया के 90 प्रतिशत मामले हेपेटाइटिस ए की वजह से होते हैं। इसके लिए इस टीके का एक डोज़ जीवन भर सुरक्षा देता है। इसकी कीमत 1500 रुपए के करीब है। एक अन्य प्रकार का टीका भी बाज़ार में उपलब्ध है। हालांकि इसके दो डोज़ लगवाने पड़ते हैं।
- वैरिसेला वैक्सीन : यह वैक्सीन चिकनपॉक्स (छोटी माता) से बचाव करता है। अलग-अलग ब्रांड्स की दवाओं में इसकी कीमत 1600 से 2100 रुपए के बीच है। इसका एक डोज़ भी 90 प्रतिशत से ज़्यादा सुरक्षा देता है। लाइफटाइम में इसके दो डोज़ लगते हैं।
- स्वाइन फ्लू वैक्सीन : यह वैक्सीन स्वाइन फ्लू के अलावा सामान्य फ्लू से भी रक्षा करता है, लेकिन यह सिर्फ एक साल के लिए ही सुरक्षा प्रदान करता है। इसका टीका हर साल लगवाना पड़ता है। इसे इंजेक्शन के अलावा स्प्रे रूप में भी ले सकते हैं। इंजेक्शन 6 माह से ऊपर किसी भी उम्र में लगवाया जा सकता है। वहीं स्प्रे 2 साल की उम्र के बाद लिया जा सकता है। इसकी कीमत 700 से 800 रुपए के लगभग है। गंभीर मस्तिष्क ज्वर और रक्त संक्रमण से बचाव में मैनिगोकोकल वैक्सीन सुरक्षा प्रदान करती है। इसकी कीमत लगभग 5000 रुपए है।
जन्म से लेकर 5 वर्ष तक के टीके
- जन्म : बीसीजी, ओपीवी (पोलियो ड्रॉप), हेपेटाइटिस बी
- 6 सप्ताह : डीपीटी, इंजेक्शन पोलियो, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, ओरल पोलियो, रोटावायरस, Pneumococcal (Pcv)
- 10 सप्ताह : हेपेटाइटिस बी छोड़कर छठवें सप्ताह में लगे सारे वैक्सीन
- 14 सप्ताह : छठवें सप्ताह में लगने वाले वैक्सीन दोबारा
- 9 महीने : एमएमआर, टाइफॉइड कॉन्जुगेट वैक्सीन
- 1 वर्ष : हेपेटाइटिस ए
- 15 महीने : एमएमआर
- 16 महीने : चिकनपॉक्स
- 18 महीने : डीपीटी, इंजेक्शन पोलियो, ओरल पोलियो, पीसीवी बूस्टर
- 2 साल : टाइफॉइड
- 5 साल : टाइफॉइड, डीपीटी, चिकनपॉक्स
- 10 साल : टिटनेस, टाइफॉइड
कैसे काम करते हैं टीके?
अधिकांश टीकों में मरे हुए वायरस अथवा बैक्टीरिया होते हैं या फिर कमज़ोर कर दिए गए जीवित वायरस मौजूद होते हैं, जिससे यह टीके शरीर में जाकर इन कीटाणुओं के ख़िलाफ़ लड़ने वाली प्राकृतिक एंटीबाडी बनाते हैं। हालांकि मरे हुए होने या कमज़ोर होने से ये खुद बीमारी की वजह नहीं बनते। अलग-अलग बीमारियों में उत्पन्न एंटीबाडी अलग-अलग समय तक जीवित रहती हैं। जैसे चिकनपॉक्स, खसरे, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस ए में जीवन भर सुरक्षा बनी रहती है, जबकि टिटनेस, टाइफॉइड जैसी बीमारियों में कुछ वर्ष सुरक्षा रहती है। वहीं इन्फ्लुएंजा, स्वाइन फ्लू वायरस साल दर साल खुद में बदलाव करता है, इसलिए यह वैक्सीन हर साल लगवानी पड़ती है। टिटनेस के टीके के बारे में भी लोगों को भ्रम है। अगर आपने टिटनेस का टीका लगवाया है, तो पांच साल के दौरान चोट लगने पर अलग से इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं है। वैसे लगवाते हैं तो नुकसान भी नहीं है।
वैक्सीन के 10 दिन बाद मिलती है सुरक्षा
कोई भी वैक्सीन 100 प्रतिशत सुरक्षा नहीं देता। 90 प्रतिशत से ज़्यादा सुरक्षा देने वाला वैक्सीन बहुत अच्छा माना जाता है। वैक्सीन लगने के 10 दिन के बाद ही सुरक्षा मिलनी शुरू होती है। जैसे आज चिकनपॉक्स का टीका लगवाया है, लेकिन यदि आपने चिकनपॉक्स वायरस का संक्रमण एक हफ्ते पहले ग्रहण किया था तो अगले दो दिन में टीका लगा होने के बावजूद आप बीमार हो सकते हैं।
मुफ्त हैं यह टीके
बच्चों में उल्टी-दस्त होने का सबसे बड़े कारण रोटावायरस है। इससे बचने के लिए लगने वाला रोटावायरस वैक्सीन का डोज सरकारी अस्पतालों में मुफ्त है। प्राइवेट में इसकी कीमत 700 से 1400 रुपए तक है। रोटावायरस वैक्सीन के डोज़ छह सप्ताह से ज्यादा के बच्चों को लगते हैं। इसके तीन डोज़ एक-एक महीने के अंतराल से और 6 माह की उम्र के भीतर तीनों डोज़ हो जाना चाहिए। इसके अलावा न्यूमोनिया, मस्तिष्क ज्वर, सेप्टिसमिया (गंभीर रक्त संक्रमण), कान एवं गले के इन्फेक्शन से रक्षा के लिए पीसीवी या pneumococcal नाम का टीका लगता है। यह भी मुफ्त है, वहीं अगर निजी रूप से लगवाना चाहते हैं, तो इसकी कीमत 1600 से 3800 रुपए तक है।
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